November 15, 2024

न्यूज नालंदा – कोरोना मरीज को बनाया बंधक ,अधिकारी के पहुंचते ही क्लिनिक छोड़ भागे डॉक्टर और कर्मी , जानें मामला ….

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राज – 7903735887 

कोरोना काल में लोग अपने परिजनों का जान बचाने के लिए दर दर की ठोकरे खा रहे हैं | किसी को बेड मिल रहा है तो किसी उसका सही से इलाज नहीं पाता है | तो कोई बिन इलाज के ही काल के गाल में सामा रहा है | ऐसे समय में कई ऐसे निजी क्लिनिक है जो लोगों के मज़बूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहें है और उनसे इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं | ताजा मामला  बिहारशरीफ के डाकबंगला मोड़ स्थित एक निजी क्लीनिक है | जहाँ के डॉक्टर द्वारा इलाज के नाम पर मरीज के परिजन से ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया है। डॉक्टर को मनमाना पैसा न देने पर रोगी को एक कमरे में बंद रखा। हद तो इस बात का है कि धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर ने  जिस मरीज को बिना ऑक्सीजन के एक सांस भी नहीं ली जा रहा थी, उन्हें बिना ऑक्सीजन के रखा। इतना ही नहीं, परिजनों को मरीज से मिलने भी नहीं दिया गया। इसके बाद इसकी शिकायत एसडीओ से की। मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच एएसडीएम से करायी गयी | जहाँ मामला सही पाया गया  |

तेल्हाड़ा के धर्म बिगहा गांव निवासी रामाशंकर कुमार ने बताया कि वे मरीज रेणु देवी को लेकर दो मई को अस्पताल आए थे। उस समय मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम था। वहां ले जाने पर डॉक्टर ने कहा कि वे इसका इलाज तो करेंगे, लेकिन उसके बदले हर दिन उन्हें 25 हजार रुपए देने होंगे। जिंदगी को कीमती समझते हुए उन्होंने पेसेंट को एडमिड कर दिया। इस दौरान वे हर दिन 25 हजार अस्पताल चार्ज देने के साथ ही दवा व जांच का खर्च भी देते रहे। आखिर गुरुवार को तीसरे दिन उन्होंने कहा कि अब मेरे पास पैसा नहीं है। इसलिए आप अपना पैसा लें और मेरे मरीज को मेरे हवाले कर दें। इस बात पर डॉक्टर ने कहा कि अभी इनको नहीं छोड़ा जा सकता है। अगर ले जाना चाहते हैं तो पहले एक लाख 42 हजार रुपए जमा करने होंगे। काफी आरजू-मिन्नत के बाद भी मरीज को छोड़ने के लिए तैयार न होने पर आखिरकार एसडीओ को आवेदन देकर इसकी शिकायत की।

एएसडीओ मुकुल पंकजमणि ने बताया कि जब वे क्लिनिक पहुंचे तो  डॉक्टर्स, नर्स, कम्पाउंडर व अन्य सभी कर्मी क्लीनिक छोड़ भाग खड़े हुए। जांच के दौरान पता चला कि आवेदक द्वारा लगाया गया आरोप बिल्कुल सही है। नालंदा के सीएस ने कहा कि अधिकतर डॉक्टर जान हथेली पर लेकर इन दिनों लोगों की सेवा कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों की मजबूरी का फायदा भी उठा रहे हैं। डीएम योगेन्द्र सिंह ने कहा कि मामले की पूरी पड़ताल कर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। बिना अनुमति के कोरोना मरीज का इलाज करना गलत है। इसके लिए शहर के कई अस्पतालों को अधिकृत किया गया है | उन्होनें जिलेवासियों से अधिकृत अस्पतालों में ही इलाज कराने की अपील की |

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