• June 27, 2025 11:26 pm

Har Khabar Har Samay

न्यूज नालंदा – सरकार करे सहयोग तो अमेरिका की ऊंची चोटी पर तिरंगा लहराने वाली मिताली करेगी ये काम… ….

ByReporter Pranay Raj

Jan 28, 2020

राज की रिपोर्ट ( 9334160742 ) – किए कुछ बिना जय जयकार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती कहावत को चरितार्थ कर दिखाई है नालंदा की बेटी मिताली । वे दक्षिण अमेरिका की 6962 मीटर ऊंची चोटी माउंट एकंकागुआ में तिरंगा फहराने वाली नालंदा ही नहीं बल्कि भारत की एकलौती महिला पर्वतारोही है । मंगलवार को बिहारशरीफ में नालंदा कोचिंग शिक्षक संघ के सदस्यों ने सम्मान समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानित किया गया । मिताली बताती है कि जिस वक्त वो अमेरिका के सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा रही थी । उस वक्त इस चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज को देखकर बहुत गर्व हो रहा था | इस मौके पर मिताली ने न सिर्फ अपने अनुभव शेयर किए। बल्कि, अपने सपने का भी खुलासा किया।


कर्ज लेकर कर रही है सपनों को पूरा
कतरीसराय के मायापुर गांव निवासी मिताली ने कार्यक्रम में अपने अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि- जब वह अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहराया तो बहुत गर्व महसूस हुआ गांव से अमेरिका की ऊंची चोटी का सफर मिताली ने कर्ज लेकर पूरा किया।
हिमालय तिरंगा लहराने का सपना
मिताली ने बताया कि पिता ने कर्ज लेकर उसे किसी तरह अमेरिका भेजा। अब पिता कर्ज लेने की स्थिति में नहीं है। सरकार उसका सहयोग करे तो वह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहरा सकती है।
प्रेरण बनी मिताली
कोचिंग संघ के अध्यक्ष डॉ धनंजय कुमार ने बताया कि मिताली दूसरो बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत है। नालंदा की बहादूर बेटी के जज्बे को वह सलाम करते हैं। मीडिया प्रभारी आशुतोष कुमार ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार मिताली का सहयोग करे तो यह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहरा सकती है। संघ सचिव मनोज कुमार समेत अन्य लोगों ने मिताली की हौसला अफजाई की।

कब मिली सफलता 

मिताली प्रसाद ने दक्षिण अमेरिका की 6962 मीटर ऊंची चोटी माउंट एकंकागुआ पर भारतीय तिरंगा झंडा 13 जनवरी को फहराया. मिताली ने चार जनवरी को चढ़ाई प्रारंभ की थी। मौसम खराब होने के कारण अतिरिक्त पांच दिन लगे। राशन कम होने के बावजूद 90 से 100 किलोमीटर की रफ्तार वाली हवा और मानइस तीस डिग्री के बीच चढ़ाई की। इसका प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ा है। चोटी से उतरने के बाद स्वास्थ्य की जांच हुई। डॉक्टरों के अनुसार मिताली के सामान्य होने में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा। मिताली ने बगैर गाइड और पोर्टर चढ़ाई की। राशन भी खुद ही उठाया। रास्ते में खाना भी बनाया। रोडमैप और प्लानिंग भी खुद ही की। सामान्य तौर पर पर्वतारोही ग्रुप में चढ़ाई करते हैं। गाइड और पोर्टर के बिना चढ़ाई काफी जोखिम भरा होता है। मिताली प्रसाद का लक्ष्य सातों महादेश की सबसे ऊंची चोटियों पर फतह कर नया कीर्तिमान बनाना चाहती हैं |