न्यूज नालंदा – अक्षय नवमीं को क्यों की जाती है आंवला वृक्ष की पूजा , जानें ….
राज की रिपोर्ट – 7903735887
अक्षय नवमीं के मौके पर बिहारशरीफ के विभिन्न मोहल्ले में महिलाओं ने आंवला वृक्ष का पूजा अर्चना कर कुष्मांड यानि भुआ का गुप्त दान किया । ऐसी मान्यता है कि इस कार्तिक नवमी के दिन आंवला वृक्ष का पूजन कर कथा सुनकर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है । आज के दिन किया गया किसी प्रकार का दान का फल कभी क्षय नहीं जाता है । इसलिए खासकर कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं इस व्रत को करती है ।
कई जगहों पर आज के दिन आंवला वृक्ष के नीचे खाना बनाया जाता है और उसी को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते है । यू तो पवित्र कार्तिक मास में प्राकृतिक की ही पूजा होती है । हमारे धर्म शास्त्र में प्राकृतिक को संरक्षित रखने के लिए कहा गया है । इस कारण सोमवती अमावस्या को पीपल वृक्ष , वट सावित्री की पूजा में वट वृक्ष और अक्षय नवमी को आँवला वृक्ष की । हम सभी इसी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं ।
आंवला नवमी एक ऐसा पर्व हैं, जो कार्तिक मास की दिव्यता और भव्यता को एक अलग आयाम देता है | आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की प्रथा की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी | कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर आईं तो रास्ते में उनके मन में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा हुई | धरती पर आकर मां लक्ष्मी सोचने लगीं कि भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा एक साथ कैसे की जा सकती है | तभी उन्हें याद आया कि तुलसी और बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं | तुलसी भगवान विष्णु को और बेल शिवजी को प्रिय है |