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न्यूज नालंदा – वट सावित्री व्रत : मैं सुहागन रहूं सात जन्मों तलक, मुझे मेरा ही वर चाहिए……

ByReporter Pranay Raj

May 26, 2025

राज – 9334160742 

पति परमेश्वर के सिवा मुझको ना परमेश्वर चाहिए। मैं सुहागन रहूं सात जन्मों तक, मुझे मेरा वर चाहिए जैसे मंगल गीत के साथ सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति के लंबी उम्र की कामना को लेकर वट सावित्री व्रत की । सुबह से ही पारंपरिक परिधान में सजी-संवरी सुहागिन महिलाएं पूजा की थाली, फल-फूल, पूजन सामग्री और मिट्टी से निर्मित सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां लेकर वटवृक्षों के नीचे एकत्रित होने लगीं। उन्होंने विधिवत पूजन किया, वटवृक्ष की परिक्रमा की और व्रत कथा का श्रवण करते हुए अपने पति की दीर्घायु एवं परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। पूरे जिले में मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थित वटवृक्षों के नीचे पूजा-पाठ का आयोजन हुआ। महिलाओं ने ‘सावित्री व्रत कथा’ का पाठ किया और वटवृक्ष को कच्चे सूत से लपेटते हुए परिक्रमा की।

धार्मिक मान्यता और महत्व :

वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह व्रत स्त्रियों के अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और दाम्पत्य जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री नामक पतिव्रता स्त्री ने अपने पति सत्यवान के अल्पायु होने की जानकारी होने पर भी उनसे विवाह किया। नियत समय पर जब यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए, तो सावित्री ने अपने तप, विवेक और दृढ़ संकल्प से यमराज को विवश कर दिया और अपने पति के प्राण पुनः प्राप्त कर लिए। उसी महान नारी शक्ति की स्मृति में यह व्रत किया जाता है।

वटवृक्ष (बरगद) को भी विशेष महत्व प्राप्त है। इसे अचल और दीर्घायु जीवन का प्रतीक माना गया है। वटवृक्ष की जड़ें, शाखाएं और पत्तियां त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का स्वरूप मानी जाती हैं। इसी कारण व्रती महिलाएं इसकी पूजा करती हैं और व्रत के नियमों का पालन करते हुए इसका पूजन करती हैं। पुरोहित महेंद्र पांडे ने बताया कि सोलह सिंगार करके सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती हैं । इससे उनकी मनोकामना पूरी होती हैं ।