November 15, 2024

न्यूज नालंदा – भारत में पहली बार किसी जज ने किया… जानें मामला..

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राज – 7903735887 

भारत में पहली बार जज ने तीन दिनों में फैसला सुनाकर इतिहास रच दिया। यह ऐतिहासिक फैसला बिहाशरीफ न्यायालय के किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने सोमवार को सुनाया। न्यायाधीश के फैसले से तीन जिंदगी तबाह होने से बच गई।
किशोर आरोपी पर नाबालिग लड़की को भगाकर शादी करने, शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था। दोनों के साथ रहने के दौरान एक बच्चा हुआ था। आरोपी के खिलाफ सजा के लिए पर्याप्त साक्ष्य थे। 8 माह की नवजात के पालन-पोषण प्रभावित न हो। इस कारण जज ने स्पीडी ट्रायल के तहत तीन दिनों में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषमुक्त करते हुए नाबालिग पति-पत्नी को साथ रहने का फैसला सुनाया।

एक नजर केस पर

हिलसा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी ग्रामीण ने अपनी नाबालिग पुत्री के अपहरण का केस 11 फरवरी 2019 को दर्ज कराया। जिसमें गांव के एक किशोर को आरोपित किया गया। भागकर दोनों नाबालिग दिल्ली जाकर शादी रचा पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। 8 माह पहले किशोरी ने एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद आरोपी गांव आया। जहां से पुलिस उसे गिरफ्तार कर 19 मार्च 2021 को किशोर न्याय परिषद लाई। किशोर को सजा के लिए पर्याप्त साक्ष्य थे। सजा के बाद 8 माह की बच्ची के साथ तीन जिंदगियां बर्बाद हो सकती थी। इस कारण जज ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
भारत में पहली बार 3 दिनों फैसला

किशोर न्याय परिषद के सदस्य अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि स्पीडी ट्रायल का यह सबसे कम दिनों में सुनाया गया फैसला है। अब तक भारत के किसी भी न्यायालय में 3 दिनों में फैसला नहीं सुनाया गया है। जज मानवेंद्र मिश्र कई ऐतिहासिक फेसला सुना चुके हैं। 26 फरवरी को भी इसी तरह का फैसला सुनाया था। इसके पूर्व भी दारोगा और पुलिस में नौकरी लगने के बाद जज ने आरोपियों को बरी कर दिया है।

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