न्यूज नालंदा – आरोपी के मैट्रिक में फर्स्ट डिवीजन आने पर न्यायाधीश ने सुनाया अनोखा फैसला…
राज – 7903735887
अपने अनोखे फैसले के लिए चर्चित किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने आज भी एक अनोखा फैसला सुनाया है । एक किशोर की प्रतिभा को देख जज ने न सिर्फ उसे रिहा किया, बल्कि उसकी पढ़ाई का खर्च वहन का भी जिम्मा लिया। इंटर की पढ़ाई का पूरा खर्च वे उठाएंगे। मैट्रिक परीक्षा में 77 फीसद अंक लाने पर बालक को रिहा कर दिया। मामले की सुनवाई व फैसला वर्चुअल माध्यम से किया गया। मारपीट मामले में किशोर आरोपित था। पढ़ाई को लेकर कोर्ट ने उसे जमानत दी थी।
जज श्री मिश्र ने जिला बाल संरक्षण इकाई को पश्चातवर्ती देखभाल योजना का लाभ दिलाने व परिजनों को सरकारी सहायता पहुंचाने के लिए बीडीओ संबंधित को आदेश दिया है। आरोपित किशोर महादलित परिवार से है। इसकी माली हालत बहुत ही खराब है। किशोर की सात बहनें व दो भाई हैं। इसके पिता विक्षिप्त हैं। मां अक्सर बीमार रहती हैं।
ऐसे में इस मेधावी छात्र ने कोर्ट में आवेदन देकर आगे की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की थी। इसके मद्देनजर जज श्री मिश्र ने दीपनगर थाना से इसके परिवार से संबधित सारी रिपोर्ट मंगवायी। छात्र की कही बातें सही पाने पर उन्होंने बालक की रिहाई करते हुए इंटर की पढ़ाई का खर्च खुद उठाने का जिम्मा लिया। बालक ने कोचिंग करने की इच्छा भी जतायी थी। इसे मानते हुए कोचिंग का खर्च भी उठाने का जिम्मा लिया।
क्या था मामला:-
सहायक अभियोजन पदाधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि 27 मई 2019 को दीपनगर थाना क्षेत्र के एक गांव में नाली विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी। इसी दौरान दीपनगर की पुलिस वहां पहुंच गयी। इसके बाद सूचक भगीरथ प्रसाद ने आरोपित दो भाइयों के अलावा 35 वयस्कों पर एफआईआर करायी थी। इनमें दोनों आरोपित घटनास्थल पर मौजूद थे। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर वयस्क बताते हुए जेल भेज दिया था।
किशोर ने जज से किया वचन निभाया:-
वर्ष 2019 में जब मामला किशोर न्याय परिषद के समक्ष आया, तो पूछताछ के दौरान किशोर ने जज मानवेंद्र मिश्र से आगे की पढ़ाई के वास्ते जमानत देने की अर्जी दी। उस वक्त किशोर ने कोर्ट के समक्ष मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक लाने का वादा किया था। इसमें बालक ने कहा था कि अच्छा अंक नहीं लाने पर जमानत रद्द करते हुए मुझे कोर्ट का हर फैसला स्वीकार होगा। वह बालक 77 फीसद अंक लाकर न सिर्फ अपने वचन को निभाया, बल्कि अन्य किशोरों के लिए एक प्रेरणा भी बन गया। हम आपको बता दें कि श्री मिश्र इसके पूर्व कई किशोर को दारोगा, सिपाही की परीक्षा पास करने पर रिहा कर मिशाल पेश किये है ।