न्यूज नालंदा – जज साहब मैं पुलिस बनने वाला हूं , इतना सुनते ही न्यायाधीश ने बचा लिया किशोर का भविष्य, जानें मामला ….
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सजा सुनाना किसी अपराध के लिए अंतिम निर्णय नहीं है | इसी कहावत को जज मानवेंद्र मिश्रा ने सही करार करते हुए एक होनहार किशोर के जीवन संवारने का सुनहरा मौका दिया है। उन्होंने मारपीट से जुड़े मामले में आरोपित किशोर की महज 13 दिन में सुनवाई पूरी कर रिहाई दे दी है। आरोपित किशोर को केंद्रीय चयन परिषद सिपाही के पद पर चयन कर लिया गया है। उसकी मेधा को देखते हुए कोर्ट ने न सिर्फ मुकदमे से रिहाई दी, बल्कि एसपी को निर्देश दिया कि नाबालिग के दौरान किए अपराध का जिक्र उसके चरित्र प्रमाण पत्र में नहीं किया जाए।अस्थावां थाना क्षेत्र से जुड़े एक मारपीट के मामले में किशोर द्वारा कोर्ट में सिपाही पद पर चयन होने का प्रमाण पत्र दिया। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि मेरे मामले को निष्पादित कर दिया जाए। ताकि, भविष्य में मेरी नौकरी पर किसी प्रकार का असर ना आए।कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बच्चे के भविष्य को देखते हुए इस मामले से आरोपित को बरी कर दिया। इसके पूर्व भी जज मानवेंद्र मिश्रा कई ऐतिहासिक फैसला सुना कर सुर्खियों में रहें हैं |
क्या था मामला :-
अस्थावां थाना इलाके के लक्ष्मण चौधरी ने वर्ष 22 सितंबर 2017 को किशोर और उसके परिजन पर मारपीट और गाली गलौज करने का आरोप लगा कर मामला दर्ज कराया था | 4 नवंबर 2017 को पुलिस द्वारा चार्जशीट दायर किया गया | वहां से चार मार्च 2021 को किशोर न्याय परिषद के समक्ष विचारण के लिए भेजा गया था। जिसके बाद किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने महज 13 दिनों के बहस में यह फैसला सुनाया |
सुनवाई के दौरान जज ने कहा :-
किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र के फैसले पर सदस्य उषा कुमारी और धर्मेंद्र कुमार ने भी अपनी सहमति दी। जज श्री मिश्रा ने अपने फैसले में कहा कि बच्चे का स्वभाव होता है कि जब वे माता-पिता व बड़ों को लड़ते देखता है तो वह अपने परिवार के बचाव में सहयोग में स्वत: शामिल हो जाता है। यह बच्चे का यह स्वाभाविक गुण होता है। जज ने किशोर के आग्रह को एवं अभिलेख पर लगाए गए आरोप के अलावा सिपाही भर्ती का प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद किशोर को बरी कर दिया। यह मामला पहले एसीजेएम छह विमलेंदु कुमार के न्यायालय में लंबित था। वहां से चार मार्च 2021 को किशोर न्याय परिषद के समक्ष विचारण के लिए भेजा गया था।हालांकि, मामले के सूचक ने किशोर की मेधा सिपाही भर्ती में खलल पैदा करने की हरसंभव कोशिश न्यायालय के समक्ष की। लेकिन, कोर्ट ने सूचक के हर दावे को खारिज करते हुए आरोपी किशोर को मामले से रिहा कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि किशोर के खिलाफ मुकदमा के अलावा अन्य किसी तरह का कोई मुकदमा किसी भी न्यायालय या थाने में लंबित नहीं है।