न्यूज नालंदा – जन्माष्टमी पर डॉ. सुनीति ने नि:संतानों को दिया सौगात, अब सूनी गोद में गूंजेगी किलकारी
राज – 7903735887
शहर के डॉक्टर्स कॉलनी स्थित नालदा नेत्रालय एंड मैटरनिटी होम अस्पताल नि:संतानों के वरदान साबित होगा। यहां माताओं की सूनी गोद भरेगी। शुक्रवार को जन्माष्टमी के मौके पर बिहार की प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर मंजू गीता मिश्रा ने यहां आईवीएफ क्लीनिक का उद्घाटन कर नि:संतान दंपतियों को सौगात दिया।
सेंटर संचालिका डॉ. सुनीति सिन्हा ने बताया कि बांझपन पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक गर्भावस्था नहीं होती है। उनके क्लिनिक में आईवीएफ चिकित्सा सेवा की शुरआत की गई है। जो दंपती नि:संतानता की समस्या को झेल रहे हैं, उनके दु:ख को समझ पाना आसान नहीं है। साथ ही जो दंपती निःसंतान है और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण उपचार नहीं करा रहे हैं, वे और भी ज्यादा तनाव में रहते हैं। इन्हीं सब को देखते हुए निःसंतान जोड़ों को कम दरों में फर्टिलिटी उपचार उपलब्ध करवाने के लिए आईवीएफ क्लीनिक की शुरुआत की गई। प्रत्येक रविवार को दोपहर 12 से 2 बजे तक नि:शुल्क परामर्श दिया जायेगा।
डॉ. मंजू गीता मिश्रा ने बताया कि आजकल कई कपल्स इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं और ऐसे कपल्स के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट किसी वरदान से कम नहीं है। जब कोई महिला नैचुरली कंसीव नहीं कर पाती है तो इस स्थिति में आईवीएफ प्रक्रिया की मदद से उन्हें गर्भधारण करवाया जाता है।
इस मौके पर डॉ. अरविंद कुमार सिन्हा, डॉ. प्रेरणा प्रियदर्शी, डॉ. अभिनव, डॉ. अचला वर्मा, डॉ. शिवम सिन्हा समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
क्या है आईवीएफ
आईवीएफ के दौरान स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है। भ्रूण तैयार करने के बाद, उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ 80 लाख कपल्स और 18 करोड़ 6 लाख इंडिविजुअल्स बांझपन से पीड़ित हैं। दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए लगभग 80 लाख शिशू जन्म लेते हैं। आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी (Test tube baby) कहते हैं । आईवीएफ उपचार से बांझ दंपति को संतान का सुख प्राप्त करने में मदद मिलती है ।
आईवीएफ से कई लाभ:
* गर्भधारण की अधिक संभावना रहती है। * गर्भपात का खतरा कम रहता है। * सरोगेसी के लिए उत्तम विकल्प है। * गर्भधारण का समय तय करने की आजादी रहती है। * दाता शुक्राणु और अंडे का उपयोग कर सकते हैं।* स्वस्थ्य शिशु की संभावना अधिक रहती है। बांझपन का एक सुरक्षित और सफल इलाज है।