November 15, 2024

न्यूज नालंदा – एनक्यूएएस कार्यक्रम : राज्यस्तरीय सहयोगात्मक टीम द्वारा सदर अस्पताल, पीएचसी मनहारी और एसडीएच महिनारी का किया गया अंकेक्षण

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राज – 7903735887

स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के अनुरूप क्रियान्यवन सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तरीय सहयोगात्मक टीम द्वारा सदर अस्पताल कटिहार के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अनुमंडलीय अस्पताल मनिहारी का दो दिवसीय सहयोगात्मक अंकेक्षण किया गया। इस दौरान उनके द्वारा अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं की जानकारी प्राप्त करते हुए जरूरत के अनुसार सुविधाओं में सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिया गया। इसमें सुधार के बाद राज्य स्तरीय टीम द्वारा अस्पताल का एनक्यूएएस कार्यक्रम के लिए निरीक्षण किया जाएगा। इसके आधार पर अस्पताल को एनक्यूएएस प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। एनक्यूएएस कार्यक्रम के मूल्यांकन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा यूएनएफपीए के दो सदस्यीय टीम को अस्पताल में उपलब्ध व्यवस्था के अंकेक्षण के लिए भेजा गया है। यूएनएफपीए द्वारा उपस्थित टीम में डॉ तुषारकान्त उपाध्याय और ऋषु प्रकाश शामिल रहे। इस दौरान राज्यस्तरीय सहयोगात्मक टीम के साथ सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह, एसीएमओ डॉ कनक रंजन, डीपीएम भगवान प्रसाद वर्मा, जिला सलाहकार गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी डॉ किशलय कुमार, यूएनएफपीए जिला समन्यवक बुद्धदेव कुमार, पीएसआई जिला प्रबंधक शिल्पी सिंह, सदर अस्पताल प्रबंधक चंदन कुमार सिंह आदि के साथ अस्पताल के अन्य चिकित्सक और कर्मी उपलब्ध करे। सदर अस्पताल, कटिहार का एनक्यूएएस कार्यक्रम के तहत विशेष जांच के लिए केंद्रीय टीम द्वारा शुक्रवार को दो दिवसीय जांच कर उपस्थित स्थिति का जायजा लिया जाएगा जिसके आधार पर अस्पताल को एनक्यूएएस प्रमाणिकरण के लिए अंक प्रदान किया जाएगा।

 

अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध सुविधाओं की ली गई जानकारी :

 

राज्य टीम के निरीक्षक डॉ तुषारकान्त उपाध्याय ने बताया कि एनक्यूएएस कार्यक्रम के तहत सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का होना मूल्यांकन राज्य स्तरीय टीम द्वारा किया गया। टीम द्वारा सदर अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध जनरल क्लीनिक, प्रसव वार्ड, लेबर रूम, इमरजेंसी वार्ड, एसएनसीयू वार्ड, ब्लड सेंटर, एनआरसी, ओपीडी, लेबोरेट्री वार्ड का निरक्षण किया गया। इसके अलावा अनुमंडलीय अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए सामान्य क्लीनिक, लेबर रूम की व्यवस्था, नवजात शिशु और सामान्य शिशु के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य, टीकाकरण स्थल, संचारी-गैर संचारी रोग नियंत्रण सुविधा, परिवार नियोजन सुविधा, आपातकाल और ड्रेसिंग व्यवस्था, फार्मेसी व्यवस्था, लैबोरेटरी सुविधा, अस्पताल कैम्पस में मरीजों के बैठने की व्यवस्था और अस्पताल प्रशासन व्यवस्था का मूल्यांकन करते हुए वहां मरीजों के लिए एनक्यूएएस मानक के अनुसार उपलब्ध सुविधाओं को सुनिश्चित करने की आवश्यक जानकारी प्रदान की गई। सभी सुविधा उपलब्ध होने पर राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल का एनक्यूएएस कार्यक्रम के तहत निरीक्षण करते हुए वहां उपलब्ध सुविधाओं पर अंक प्रदान किया जाएगा। अंक के आधार पर स्वास्थ्य केन्द्र को रैकिंग और प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। राज्य टीम द्वारा एनक्यूएएस कार्यक्रम के तहत प्रामाणिक मिलने के बाद संबंधित अस्पताल का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण का पात्र हो सकेगा।

 

70 प्रतिशत से अधिक अंक मिलने पर मिलेगा एनक्यूएएस प्रमाणपत्र :

 

डीपीएम भगवान प्रसाद वर्मा ने बताया कि एनक्यूएएस के तहत दो प्रकार के प्रमाणन की व्यवस्था है। पहला राज्य प्रमाणन होता है जिसके तहत राज्य की टीम द्वारा मूल्यांकन किया जाता है और जब स्वास्थ्य केन्द्र को राज्य द्वारा प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है उसके बाद वह दूसरे स्तर पर राष्ट्रीय प्रमाणन के पात्र बन सकता है। एनक्यूएएस प्रमाणिकरण के लिए अस्पताल में वह सभी व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए जो उस स्तर के अस्पताल के लिए आवश्यक है। उन सभी विभागों के मूल्यांकन के बाद उसे मूल्यांकन टीम द्वारा अंक प्रदान किया जाता है। अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर अस्पताल को एनक्यूएएस प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल और मनिहारी एसडीएच व पीएचसी में सभी व्यवस्था उपलब्ध है जिससे कि उसे एनक्यूएएस प्रमाणपत्र मिल सकता है।

 

अस्पताल में गुणात्मक सेवाओं की उपलब्धता है एनक्यूएएस प्रमाणपत्र :

 

सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि एनक्यूएएस प्रमाणीकरण अस्पताल में गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता है। मूल्यांकन के लिए जिला, राज्य व केंद्र स्तर स्वास्थ्य अधिकारियों की क्वालिटी एश्यूरेंस टीम है। जिला स्तर पर मूल्यांकन होने के बाद राज्य व केंद्र स्तर की टीम स्वास्थ्य केंद्रों का मूल्यांकन करती है। मूल्यांकन के बाद अंक प्रदान किया जाता है। इसी आधार पर सर्टिफिकेशन किया जाता है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों की उत्कृष्टता बरकरार रखने के लिए एनक्यूएएस प्रमाणीकरण जरूरी है। मूल्यांकन प्रक्रिया से अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की उपलब्धता पर जोर दिया जाता है। इसमें ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, इमरजेंसी, लेबर रूम, मेडिकल रिकॉर्डस, मेडिकल एंड डेथ ऑडिट का मूल्यांकन किया जाता है। नर्सिंग प्रोसेस के तहत फॉर्मेसी, एंबुलेंस, उपकरणों का रखरखाव, लेबोरेट्री तथा नर्सिंग से संबंधित गतिविधि की मूल्यांकन होता है। अस्पताल के प्रबंधन व गुणवत्ता प्रोसेस के तहत मरीजों का फीडबैक, मरीजों के अधिकार, अस्पताल का कार्य प्रदर्शन, आपदा प्रबंधन सहित सेवाओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिला सलाहकार गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी डॉ किशलय कुमार ने कहा कि एनक्वास प्राणीकरण से सरकारी चिकित्सा संस्थानों के प्रति लोगो का भरोसा बढ़ता है। साफ-सफाई से लेकर आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता, आवश्यक संसाधनों की मौजूदगी से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच आसान होती है। इसलिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सदर अस्पताल और एसडीएच व पीएचसी मनिहारी को एनक्यूएएस प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए अस्पताल में सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है जिससे कि स्थानीय मरीजों को आवश्यक लाभ मिल सके।

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