न्यूज नालंदा – जिऊतिया व्रत 10 को पुत्र की सलामती के लिए माताएं रखेंगी निर्जला व्रत …..
आर .के .सिंह की रिपोर्ट – 7079013889
जीवित पुत्रिका व्रत (जिऊतिया) इस साल 9 सितंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा । 10 सितंबर से माताएं निर्जला उपवास कर शाम में पूजा करेंगे और 11 की सुबह में व्रत का पारण होगा।
ज्योतिष शास्त्र पं. मोहन कुमार दत्त मिश्रा बताते हैं कि जिउतिया व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी प्रदोष व्यापिनी में मनाया जाता है। सप्तमी को नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत की जाती है। इस बार जिउतिया पर विशेष संयोग बन रहा है। रोहिणी गुरु योग, रोहिणी चन्द्रयोग, वज्र योग के साथ अमृत योग का महामिलन है। माह कुंडली के अनुसार पंचम भाव पुत्र का भाव होता है। इसमें धनु लग्न में गुरु के साथ केतु का साथ है। अकाल कष्टों से संतानों की रक्षा स्वयं गुरुदेव वृहस्पति की दृष्टि है। पं. मिश्रा बताते हैं कि 9 सितंबर की रात 9.45 से अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो रहा है। इसका मान 10 सितंबर की रात 10.47 तक है। उसके बाद नवमी तिथि का प्रवेश होगा। इसलिए महिलाएं गुरुवार को उपवास कर पुत्रों की आरोग्यता की कामना करेंगी।
ब्रह्म मुहूर्त में सरगही: –
व्रत प्रारंभ करने से पहले सरगही किया जाता है। 9 सितंबर को नहाय खाय है। उसके बाद रात में ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय होने से पहले) में सरगही माताएं करेंगी। उसके बाद उपवास व्रत शुरू हो जाएगा। व्रत का पारण 11 सितंबर की सुबह 5.50 बजे के बाद होगा।
24 घंटे रहेंगी निर्जला :-
यह व्रत संतान की मंगल कामना के लिए किया जाता है। यह व्रत मातायें रखती हैं। जिउतिया व्रत में माताएं 24 घंटे तक निर्जला रहकर पूजा-अर्चना करती हैं। संतान की सुरक्षा के लिए इस व्रत को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त: –
10 सितंबर बुधवार को प्रदोष काल में संध्या 5 बजकर 47 मिनट से रात्रि 8 बजकर 20 मिनट तक।
याद रखें ये तिथियां : –
नहाय खाय – 9 सितंबर (बुधवार)
सरगही – 9 सितंबर की रात्रि (ब्रह्म मुहूर्त 4.17 से 5 बजे भोर तक)
उपवास – 10 सितंबर (गुरुवार)
पारण – 11 सितंबर (प्रात: 5.50 के बाद)