न्यूज नालंदा – संसद में मांग, खिलजी द्वारा नष्ट किए पुस्तकालय के तर्ज पर बने आधुनिक लाइब्रेरी…
राज की रिपोर्ट-7079013889
नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा में नियम 377 के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकायलय के तर्ज पर नालंदा में आधुनिक लाइब्रेरी बनाने की मांग संसद में की। सांसद ने कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का पुनर्निर्माण की अति आवश्यकता है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय पूरे विश्व में ज्ञान का केंद्र था। गुप्त वंश के शासक, कुमार गुप्त प्रथम ने 450-470 इसवी के बीच इसकी स्थापना की थी। यहां करीब 10000 से अधिक छात्रों के पठन-पाठन की व्यवस्था थी। दो हजार से अधिक अध्यापकों की संख्या थी। विद्यार्थी अधिकतर विदेशी थे। जो मुख्यतः कोरिया, जापान ,चीन ,तिब्बत, इंडोनेशिया, तुर्की के थे। यहां विशालकाय पुस्तकालय भवन था। जहां करीब 3 लाख से अधिक ज्ञान की महत्वपूर्ण पुस्तकें थी।
नालंदा उस समय भारतवर्ष में उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था। विश्वविद्यालय में आचार्य छात्रों को मौखिक व्याख्यान द्वारा शिक्षा देते थे। व्याकरण, दर्शन, शल्य विद्या, ज्योतिष, योग शास्त्र तथा चिकित्सा शास्त्र भी पाठ्यक्रम के अंतर्गत था। विद्वानों का मत है कि यहां धातु की मूर्तियां बनाने के विज्ञान का भी अध्ययन होता था। यहां खगोलशास्त्र अध्ययन के लिए एक विशेष विभाग था। इस विश्व विख्यात विश्वविद्यालय में स्थित पुस्तकालय 9 तल का था। जो हजारों विद्यार्थियों और आचार्य के अध्ययन का केंद्र था। इस बौद्ध विश्वविद्यालय के अवशेष की खोज का श्रेय एलेग्जेंडर कनिंघम को जाता है।
श्री कुमार ने कहा कि सब 1199 में तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी। कहा जाता है कि विश्वविद्यालय में इतनी पुस्तकें थी कि पूरे 3 महीने तक उसकी आग धधकती रही। उसने प्राचीन भारत की उपलब्धियों को नष्ट करने के लिए लिए घृणित कार्य किया।
सांसद ने सदन के माध्यम से मांग करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में प्राचीन पुस्तकालय की तरह ही एक आधुनिक पुस्तकालय की स्थापना के लिए केंद्र सरकार सहयोग प्रदान करे। जिससे भविष्य में हमारी युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी हासिल कर सके।