न्यूज नालंदा – जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कश्मीरीचक गांव पहुंच मजार पर की चादरपोशी, जानें एतिहास …
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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पटना में आयोजित होने वाले विपक्षी एकता की बैठक के पूर्व गुरुवार को नालंदा जिला के ऐतिहासिक स्थल इस्लामपुर के कश्मीरीचक गांव पहुंची। जहां उन्होनें जम्मू कश्मीर के अंतिम शासक के मजार पर चादरपोशी की।
इस मौके पर महबूबा ने बताया कि यह ऐतिहासिक स्थल है। बहुत ज्यादा कश्मीरी लोग यहां आना चाहेंगे। जिससे इलाके की तरक्की होगी। टूरिज्म भी बढ़ेगा। यहां बहुत लोगों का आना जाना रहेगा। पूर्व सीएम ने डीएम से मजार के जिर्णोद्धार और विकास करने की बात कही।
इस्लामपुर के कश्मीरीचक में माथा टेकने सालोंभर आते हैं धरती की जन्नत कश्मीर के लोग
नालंदा जिले के इस्लामपुर से आज़ाद कश्मीर के आखिरी शासक युसूफ शाह का इतिहास जुड़ा हुआ है। अपनी ज़िंदगी के आखिरी लम्हे उन्होंने इस्लामपुर में ही बिताया और यहीं के होकर रह गए। कश्मीरी चक में 400 साल पहले का इतिहास दफन है। इस बात को शासक युसूफ शाह का मकबरा प्रमाणित करता है। कश्मीर के बाद युसूफ शाह ने इस्लामपुर का रुख किया। उनकी पत्नी हब्बा खातून ने भी अपनी ज़िंदगी का आखिरी लम्हा यहीं गुज़ारा। युसूफ शाह चक और उनकी पत्नी हब्बा खातून का इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में ही मकबरा है। स्थानीय लोगों की मानें तो शासक युसूफ शाह कश्मीर से ताल्लुक रखते थे और उनके नाम के आखिर में चक लगा हुआ है। इसलिए बेशवक गांव के पहले एक गांव है उस गांव नाम कश्मीरीचक रखा गया।
1977 में शेख अब्दुल्ला आए थे:
मुगल शासक अकबर से रिहाई मिलने के बाद युसूफ शाह ने इस्लामपुर (नालंदा) की तरफ़ रुख किया। कश्मीरीचक नाम से एक नगर बसाया। इसके बाद वे यहीं के होकर रह गए। गौरतलब है कि इस्लामपुर से शेख अब्दुल्ला रोड होते हुए बेशवक का रास्ता गुजरता है। 19 जनवरी 1977 को राज्य की कल्चरल एकेडमी की टीम के साथ जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला बेशवक आए थे।