न्यूज नालंदा – साइबर ठगी मामले में बिहार में पहली सजा, जानें कौन है आरोपी …..
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किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने साइबर ठगी के मामले में आरोपित किशोर को दोषी पाते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही, रुपए व एटीएम की बरामदगी के अलावा धोखाधड़ी में भी तीन साल की सजा हुई है। कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में भी दोषी पाकर छह माह की सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। आरोपित किशोर नवादा जिले के काशीचक थाना क्षेत्र का निवासी है। इस मामले में एक अन्य आरोपित का मामला अन्य कोर्ट में लंबित है। साइबर ठगी मामले में सूबे का यह पहला फैसला है। इस फैसले पर परिषद की सदस्य उषा कुमारी ने भी सहमति दी।
मामले में जज श्री मिश्र ने गिरफ्तारी के समय आरोपित के पास से बरामद 18 लाख 23 हजार रुपए को आरोपित द्वारा 30 दिनों तक स्वामित्व के संबंध में साक्ष्य नहीं देने पर राशि राज्य सरकार के खाते में जमा करने का आदेश एसपी को दिया है।
एक जुलाई 2019 की सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर गुप्त सूचना मिली थी। पता चला कि बिहारशरीफ के रामचंद्रपुर बस स्टैंड के पास कुछ साइबर अपराधी ठगे गए रुपयों को आपस में बंटवारा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बस स्टैंड की घेराबंदी की। पुलिस को देखते ही आरोपित भागने लगे। खदेड़कर शेखपुरा जिले के कसार थाना क्षेत्र के सोमका गांव निवासी धनंजय कुमार के अलावा किशोर को बैग व झोला के साथ गिरफ्तार किया। मौके पर मौजूद स्वतंत्र गवाहों के समक्ष झोला व बैग की तलाशी ली गई। उनमें 18 लाख 23 हजार रुपए के अलावा कई मोबाइल व एटीएम कार्ड मिले। आरोपित ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि वे साइबर ठगी में शामिल हैं। इनाम का लालच देकर लोगों से अलग-अलग कई बैंक खातों में रुपए डलवाते हैं। इसके बाद उसे पेटीएम व एटीएम के सहारे निकाल लेते हैं।
साइबर ठगी में आयी यह सजा सूबे का पहला मामला :
जज श्री मिश्र ने सजा में यह टिप्पणी की है कि इस समय पूरा देश इन साइबर अपराधियों से काफी परेशान है। ऐसे अपराधियों तक कठोर संदेश देने के लिए इस तरह की सजा अत्यंत आवश्यक है। अगर कोई अपराधी जान-बूझकर योजनाबद्ध तरीके से इस तरह के अपराध में शामिल होता है, तो उसे कठोर से कठोर सजा मिलनी ही चाहिए।