न्यूज नालंदा – मोक्ष व स्वर्ग प्राप्ति के लिए राजगीर पहुंच रहे श्रद्धालु, जानें यह नदी है क्यों खास …
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राजगीर में मलमास के दौरान मान्यता है कि एक माह तक सभी 33 कोटि के देवी-देवता वास करते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य का आयोजन नहीं किया जाता। राजगीर में अधिक मास का महत्व पितरों के लिए अत्याधिक माना जाता है।
इस माह के दौरान जिनका निधन हो गया है या पितरों (हमारे पूर्वज जिनका निधन हो गया हो) की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तर्पण विधि और एवं श्राद्ध कर्म वैतरणी नदी पर किए जाते हैं। यहां देख रेख करने वाले जगदीश यादव ने बताते हैं कि राजगीर के वैतरणी नदी का बड़ा महत्व है। पुरुषोत्तम मास मेले के दौरान गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार करने पर मोक्ष व स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
पौराणिक वैतरणी नदी का इतिहास गौरवमयी व समृद्धशाली रहा है। मलमास मेले के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां गर्म कुंड के साथ साथ वैतरणी नदी में गाय की पूंछ पकड़ कर पार कर स्नान दान करते हैं जिससे मनुष्य को मरणोपरांत मोक्ष व स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है। पुरोहित यहां एक माह तक गाय के बछड़ा को लेकर रहते हैं।