न्यूज नालंदा – श्रद्धालुओं को नहीं डरा सका कोरोना, उमड़ा जनसैलाब…
राज – 7903735887
दीपनगर थाना अंतर्गत मघड़ा में स्थापित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को पूजा अर्चना करने के लिए अहले सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। माता के श्रद्धालुओं को कोरोना डरा नहीं सका। भक्तों का जनसैलाब मंदिर में उमड़ पड़ा। हालांकि, जिला प्रशासन ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मेला पर पाबंदी लगा दी थी। इस कारण मेला नहीं लगा। पंडा कमिटी भीड़ से सोशल डिस्टेंसिंग के पालन का लगातार अनुरोध कर रहा था।
विश्व प्रसिद्ध है शीतला मंदिर
बिहारशरीफ से तीन किलोमीटर दूर मघड़ा गांव में विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर है। जहां चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भक्त मां के दरबार आते हैं । पूजा-अर्चना से पहले तालाब में स्नान करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से लोग चेचक रोग से मुक्त हो जाते हैं। पंडा कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर चन्द्र मिश्रा औरपुजारी प्रभात कुमार पांडेय बताते हैं कि बहुत सालों बाद इस बार शीतलाष्टमी मेला में विशेष संयोग बन रहा है।हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन मां की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा हर मंगलवार को भी मां के मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है। इस बार चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी सोमवार को है और उसके दूसरे ही दिन मंगलवार। इसलिए माता के दरबार में काफी सालों बाद लगातार तीन दिनों तक पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी।
गांव में नहीं जलता है चूल्हा
इस बार भी इन गांवों के लोग रविवार की शाम में खाना बनाने के बाद अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करेंगे। सोमवार यानी अष्टमी के दिन गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जलेगा। रात में बनाये गये खाने को लोग बसिऔड़ा के प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे।
स्वप्न में आई थी मां
प्रभात कुमार पांडेय बताते हैं कि मान्यता है कि गांव के एक ब्राह्मण रात में माता स्वप्न में आई। माता ने बताया कि उनकी मूर्ति नदी के किनारे जमीन के अंदर है। उसे गांव के किसी स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। इसके बाद ब्राह्मण ने नदी के किनारे स्थित एक कुएं की खुदाई कर मां शीतला की प्रतिमा को निकाला तथा उसे गांव के तालाब के बगल में स्थापित कर दिया। जिस कुएं से मां की प्रतिमा निकली थी, उसे मिट्ठी कुआं के नाम से जाना जाता है।
कभी नहीं सूखता कुआं
मघड़ा के ग्रामीण बताते हैं कि मिट्ठी कुआं का पानी कभी नहीं सुखता है तथा पानी काफी मिट्ठा है। पुजारी जी बताते हैं कि जिस दिन मां की प्रतिमा कुएं से निकाली गयी थी, उस दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी थी तथा अष्टमी के दिन मां की प्रतिमा की स्थापना हुई। उसी समय से मघड़ा में मेले की शुरुआत हुई, जो अबतक जारी है।