न्यूज नालंदा – राजगीर के सभी गर्म कुंड 31 मार्च तक के लिए हुए बंद, पढ़े खास रिपोर्ट ….
राजगीर रिपोर्टर – 7079013889
कोराना वायरस को लेकर राजगीर के विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मकुंड समेत सभी कुंड को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है राजगीर के एसडीओ संजय कुमार ने वरीय पदाधिकारी के निर्देश पर कोरोना को लेकर एहतियात के तौर पर कुंड को बंद किया गया है । 31 मार्च के बाद जैसा स्थिति होगा उसमें ढील दी जाएगी ।
जानिए क्या है यहां से जुड़ी कहानी…
मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ कराया था। इस दौरान देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी। तब ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड का निर्माण कराया। इन्हीं में से एक है ब्रह्मकुंड, जिसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है।
कहां से आता है इस कुंड में पानी
बताया जाता है कि यहां सप्तकर्णी गुफाओं से पानी आता है। यहां वैभारगिरी पर्वत पर भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से पानी गर्म होता है।
क्या है मलमास मेले से जुड़ी मान्यता
– बिहार के नालंदा ज़िले में स्थित राजगीर की पहचान मेलों के नगर के रूप में भी है। इनमें मकर और मलमास मेले मशहूर हैं।
– मेले के दौरान ब्रह्मकुंड में नहाने के लिए चार बजे सुबह से भीड़ जुट जाती है, जो शास्त्रों में मलमास तेरहवें मास के रूप में वर्णित है।
– सनातन मत की ज्योतिषीय गणना के अनुसार तीन वर्ष में एक वर्ष 396 दिन का होता है। – धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अतिरिक्त मास या पुरूषोतम मास कहा जाता है।
– ऐतरेय बह्मण के अनुसार यह मास अपवित्र माना गया है और अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में मूर्ति पूजा–प्रतिष्ठा, यज्ञदान, व्रत, वेदपाठ, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित है, लेकिन इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है.
– मेले के दौरान ब्रह्मकुंड में नहाने के लिए चार बजे सुबह से भीड़ जुट जाती है, जो शास्त्रों में मलमास तेरहवें मास के रूप में वर्णित है।
– सनातन मत की ज्योतिषीय गणना के अनुसार तीन वर्ष में एक वर्ष 396 दिन का होता है। – धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अतिरिक्त मास या पुरूषोतम मास कहा जाता है।
– ऐतरेय बह्मण के अनुसार यह मास अपवित्र माना गया है और अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में मूर्ति पूजा–प्रतिष्ठा, यज्ञदान, व्रत, वेदपाठ, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित है, लेकिन इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है.
मलमास मेले में आते हैं देवी देवता स्नान करने
– अग्नि पुराण एवं वायु पुराण आदि के अनुसार इस मलमास अवधि में सभी देवी देवता यहां आकर वास करते हैं।
– राजगीर के मुख्य ब्रह्मकुंड के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसे ब्रह्माजी ने प्रकट किया था और मलमास में इस कुंड में स्नान का विशेष फल है।
– राजगीर के मुख्य ब्रह्मकुंड के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसे ब्रह्माजी ने प्रकट किया था और मलमास में इस कुंड में स्नान का विशेष फल है।