राहुल – 9334160742
लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। जिले के सभी छठ घाटों पर मंगलवार की सुबह भक्ति, श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ा। जहां छठव्रतियों ने उगते सूर्य को दूसरा और अंतिम अर्घ्य अर्पित किया।

सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, व्रतियों ने पूरी रात घाटों पर या अपने घरों में जागरण करते हुए बिताई। मंगलवार तड़के सुबह होने से पहले ही, सभी व्रती पुनः पारंपरिक वेशभूषा में अपने सूप और दउरा में प्रसाद लेकर घाटों पर पहुंच गए।

ऐतिहासिक सूर्यपीठ बड़गांव, प्रसिद्ध औगारी धाम, कोसुक, मोरा तालाब, सोहसराय सूर्य मंदिर और बाबा मणिराम छठ घाट सहित तमाम नदियों और तालाबों के किनारे व्रतियों ने कमर भर जल में खड़े होकर सूर्यदेव के उदय होने की प्रतीक्षा की।

जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्य की पहली किरणें दिखीं, “छठ मइया के जयकारे” और “जय छठी मैया” की गूंज के बीच व्रतियों ने श्रद्धापूर्वक दूध और जल से भरे कलशों से भगवान भास्कर को अंतिम अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने अपने परिवार, संतान और समाज के सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना की।

बड़गांव और औगांरी धाम में उगते सूर्य की लालिमा और जल में दीपों की परछाई का दृश्य अत्यंत मनमोहक रहा, जो महापर्व के सफल समापन की विदाई दे रहा था। अर्घ्य देने के बाद, व्रतियों ने घाटों पर मौजूद लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया और फिर घर लौटकर पारण किया। इसी के साथ लोक आस्था का महापर्व संपन्न हो गया।

