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बिहारशरीफ के हाजीपुर स्थित महादेव मैरिज हॉल गुरुवार को शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मान और श्रद्धा का गवाह बना। जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन और किड्ज केयर कॉन्वेन्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सर्वश्रेष्ठ गुरु गौरव सम्मान समारोह में जिले के निजी और सरकारी विद्यालयों के 101 शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को गुरु गौरव सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया।
समारोह का उद्देश्य शिक्षा और साहित्य के साथ-साथ राष्ट्र जीवन के अन्य क्षेत्रों में योगदान देने वाले गुरुजनों की उत्कृष्ट प्रतिभा को प्रोत्साहित करना था। इस अवसर पर हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जब एक-एक कर शिक्षकों को मंच पर सम्मानित किया गया।
“गुरु का सम्मान ही सबसे बड़ा सम्मान”
आयोजक विनय कुमार ने कहा, “गुरु का सम्मान से बढ़कर कोई सामान नहीं है। उनका जीवन में योगदान अनमोल होता है। शिक्षक ही भविष्य की नींव रखते हैं और राष्ट्र को दिशा दिखाते हैं। शिक्षक दिवस महज एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन में गुरु के महत्व को याद करने का अवसर है। शिक्षक समाज का वह स्तंभ हैं, जो केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। वे बच्चों के भविष्य का निर्माण करते हैं और समाज में संस्कार, नैतिकता और अनुशासन का संचार करते हैं। यही कारण है कि भारतीय परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान दिया गया है।
सम्मानित हुए जिले भर के शिक्षक
इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक–शिक्षिकाओं के साथ-साथ विद्यालय निदेशक, प्राचार्य और निजी विद्यालयों के शिक्षक भी सम्मानित हुए। वहीं नालंदा हिन्दी साहित्य सम्मेलन से जुड़े कवि, शायर और साहित्यकारों की उपस्थिति ने समारोह को और भी भव्य बना दिया।
शिक्षकों में अखिलेश कुमार, डॉ. प्रणय कुमार, सोनी गुप्ता, राजेश कुमार, नीरज कुमार, महेश प्रसाद, अमृतकांत डेल्टा, मनोज कुमार, संजीव कुमार, नीता कुमारी वर्मा, साधु शरण, श्रवण कुमार, गौतम कुमार, दिनेश झा, मिस ब्यूटी कुमारी, खुशबू कुमारी, अंजली कुमारी, अलका कुमारी, अभय कुमार, ज्योति गांधी, अंकिता राज, प्रियंका कुमारी, पूजा कुमारी, वंदना पांडे, स्वाति सिंह, शोभा कुमारी समेत कई अन्य शामिल हैं ।
साहित्यकार भी हुए शामिल
नालंदा हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सक्रिय सदस्यों
विनय कुमार कुशवाहा, कवि महेन्द्र कुमार ‘विकल’, कवि नवनीत कृष्ण, डॉ. गोपाल शरण सिंह, कवि सुभाषचन्द्र पासवान, कवि राजेश ठाकुर, कवि अवधेश उन्मन और शायर सिकंदर अली सायल आदि ने अपने वक्तव्यों से लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया ।

